गुरुवार, 25 अक्टूबर 2012

अपने खेत की फ़सल


-संध्या पेडणेकर
युद्ध के दिन थे। राजा के सौनिक पूरे प्रदेश में फैले थे। जिस गांव में जाते वहां के लोगों को न चाहते हुए भी कई बार उनके रहने-खाने का बंदोबस्त करना पड़ता। ऐसा नहीं कि लोगों में देशभक्ति नहीं थी, लेकिन कई बार सैनिकों का बर्ताव उजड्ड और क्रूरतापूर्ण होता था। इसलिए लोग उनसे बच कर रहना पसंद करते थे। जितने की उन्हें ज़रूरत होती उससे अधिक का वे नुकसान करते।
एक दिन सैनिकों का अधिकारी एक किसान को पकड़ कर ले आया। उसने किसान से कहा, गांव में किसके खेत में अच्छी फसल उगी है बताना। हफ्ते भर तक हमारा पडाव इसी गांव में रहेगा। हमें अपने खाने-पीने की और हमारे घोड़ों के लिए चारे की व्यवस्था करनी है।
किसान दुविधा में पड़ गया। न बताता तो सैनिक उसे सताते और अगर बताता तो जिस किसान के बारे में बताए उसके पूरे खानदान के सामने खाए क्या? जिए कैसे?’ का सवाल पैदा होता।
सैनिकों के साथ चलते चलते उसने मन ही मन कुछ फैसला कर लिया।
गांववालों के खेतों से वे गुज़र रहे थे। एक के बाद एक खेत दिखाते हुए सैनिक कह रहे थे कि इस खेत की फसल अच्छी है लेकिन वह किसान खुद के ज़्यादा जानकार होने की दुहाई देकर कहता कि इससे अच्छी फसल तो आगे वाले खेत में है। मैं जानता हूं, आइए, मैं आपको दिखा देता हूं।
आखिर एक खेत के सामने रुक कर वह बोला, इस खेत की फसल सबसे बेहतर है। सैनिकों को उस खेत की फसल में कुछ खास नज़र नहीं आया। सैनिकों का अधिकारी दहाडा और बोला, मैंने बेहतर फसल कहा था, तुम्हें सुनाई नहीं देता क्या? इससे अच्छी फसल तो हम पीछे छोड़ आए कई बार। क्यों किया तुमने ऐसा?’
किसान बोला, मैं जानता था कि आप खेत के मालिक को फ़सल का मूल्य तो देंगे नहीं। ऐसे में किसी और की फ़सल का मैं कैसे नुकसान करवाता? फ़सल ही तो किसान की साल भर की कमाई होती है। उसके बगैर वह कैसे गुजारा करेगा? और मैंने झूठ तो नहीं कहा आपसे। यह मेरा खेत है। मेरे लिए तो इसी खेत की फ़सल सबसे अच्छी फ़सल है।
सैनिक अधिकारी लज्जित हुआ। उसने किसान को फ़सल का मूल्य तो दिया ही, साथ ही उसकी निडरता के लिए विशेष सम्मान देकर उसे पुरस्कृत भी किया।
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आज न तो युद्ध का जमाना है और न ही आपात् काल।
आज अपने नुकसान के मूल्य पर भी सच बोलनेवाला ही दंडित होता है।
यदा कदा, किसी सत्यवादी को पुरस्कार मिलता भी है तो वह बही-खातों में कहीं ऐसे गायब हो जाता है जैसे गधे के सिर से सींग।
दुहाई सब देते हैं, लेकिन रामराज्य के लिए आवश्यक गुण आज किसके पास हैं?